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बात कुछ महीनों पहले कश्मीर घाटी में झंडे फहराने के साथ शुरु हुई थी। वो भी खास शुक्रवार के दिन नवाज पढने के बाद से। जिसमें कुछ घाटी के नौजवानों को काले झंडे लिए उद्दंड मचाते देखा गया था। जिसे सरकार ने नज़र अंदाज कर दिया। लेकिन यह सिलसिला कुछ यूं चला की घाटी में हर शुक्रवार ऐसे दर्शय आम हो गए। जिस बात का मैं जिक्र कर रहा हूं शायद इतने से आप उसे समझ गए होंगे क्योंकि देश में कश्मीर से होते हुए आईएसआईएस का खतरा दिनोंदिन कदम बढाता देश की दहलीज के एक कदम अंदर तक आ चुका है और अब उससे मुंह मोडा या इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। आईएस के निशान जो कल तक सिर्फ कश्मीर घाटी तक नज़र आ रहे थे अब एक-एक कर देश के करीब 13 राज्यों में दिखने लगे हैं। शायद इसी कारण कल तक जो इलैक्ट्रानिक न्यूज चेनल जिस आईएसआईएस को सिर्फ कुछ खास शोज में चला रहे थे अब वह प्राइम टाइम में भी जगह पाने लगा हैं।
हालात कुछ इस कदर खराब हो चले हैं कि देश की जो खुफिया एजेंसी आईसिस को आसानी से रोकने का दम भर रही थी उसकी हवा भी फुग्गे की तरह निकल गई है और शायद मोदी सरकार को भी इस बात का इल्म हो चला है कि अब सिर्फ नेटवर्क को तोड़ने या खुफिया एजेंसी से नज़र रखने से काम नहीं चलने वाला, शायद इसीलिए देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह मौलाना और मौलवियों से भी मदद मांगने में गुरेज़ नहीं कर रहे क्योंकि हकीकत में उन्हें उनके सिवा और कोई रास्ता दिख नहीं रहा है। केंद्र सरकार के होश उड़ने का एक बड़ा कारण आईएस का वो वीडियो भी है जिसमें दो हिंदुस्तानी सीरिया में ट्रेनिंग लेते दिख रहें हैं और बगदादी ने यह दावा भी किया है कि ऐसे कई और भारतीय नौजवान हैं जो उसके लिए सीरिया में लड़ रहे हैं और लड़ने को तैयार बैठे हैं।
यानि देश के लिए आईसिस अब खतरे के निशान से ऊपर पहुंच चुका है। इस बात की पुष्टि पिछले कुछ महीनों में देश के तमाम राज्यों से पकड़े गए ऐसे नौजवान करते हैं जो आईएस में शामिल होने की फिराक में थे। इसमें सबसे ज्यादा चिंता की बात है कि इन नौजवानों में एक महिला भी शामिल है जिसकी उम्र करीब 26 साल बताई जा रही है। यानि कल तक जिस आईएसआईएस का प्रभाव विदेशी महिलाओं तक सीमित था वह अब भारत में भी दिखने लगा है। गंभीर मसला यह भी है कि पिछले दिनों हैदराबाद से जिस लड़के को आईसिस से संपर्क साधने के कारण गिरफ्तार किया गया था उसके स्कूल रिकॉर्ड के हिसाब से उसकी उम्र सिर्फ 16 साल थी और वह सीधे बगदादी के संपर्क में था और तो और अभी तक जितने लोगों को आईएस में जाना से रोका गया है उसमें निचले वर्ग से लेकर उच्च मध्यम वर्ग तक के लोग शामिल हैं। यानि नौजवान महिला-पुरुष, नाबालिग, गरीब-अमीर लगभग सभी तक आईएसआईएस पहुंच चुका है।
लेकिन यहां सवाल यह खड़ा होता है की आखिर देश के लिए गंभीर खतरा बन चुके आईएस को इतना अंदर तक घुसने देने की जिम्मेदारी बनती किसकी है ? सीधे तौर पर सरकार की। सरकार की आईएस को लेकर बेपरवाही इसका सबसे बड़ा कारण है क्योंकि 4 महीने पहले भी जब राजनाथ सिंह से आईएस के खतरे को लेकर मीडिया ने सवाल किया था तब इसे उन्होंने हवाहवाई बातों में उड़ा दिया था। अब दवा न लगाने के कारण आईएस देश के लिए नासूर हो चला है और देश को दर्द देने के लिए तैयार है। अगर सरकार ने इसे लेकर कोई कड़े कदम नहीं उठाए तो बहुत जल्द आईएस के निशान दिल्ली और फिर संसद भवन तक नज़र आने लगेंगे। जहां से उसे रोकना बहुत मुश्किल हो जाएगा।
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